एंटी-स्नेक वेनम का जरूरी होने पर ही उपयोग
हुब्बल्ली (कर्नाटक). सांप के काटने के बाद शरीर में जहर की मात्रा कितनी है? इसका स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है? उसके लिए किस प्रकार का उपचार दिया जाना चाहिए? इन सवालों को पहली बार कर्नाटक मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट (केएमसीआरआई) के मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हल कर लिया है। इससे महंगे एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन के अनावश्यक उपयोग पर अंकुश लगेगा और पैसे की भी बचत होगी। वहीं, जहर के असर के हिसाब से उपचार होगा। शोध के दौरान 59 पुरुषों और 23 महिलाओं के रक्त की जांच की गई है। उनके खून में मिले विष के आधार पर इस नई उपचार पद्धति को तैयार किया गया है। केएमसीआरआई के एमआरयू यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ. राम कौलगुड्ड के नेतृत्व में डॉ. तौसीफ हसन, डॉ. अरुण शेट्टर, डॉ. शिवकुमार बेलूर व तकनीशियन वीरश, अनघरानी की टीम ने इस पद्धति को विकसित किया है।
सबसे पहले सर्पदंश पीड़ित के रक्त का नमूना लेकर उसमें मौजूद जहर की मात्रा का पता लगाया जाता है। इसके लिए न्यूक्लियोटाइडेस और फॉस्फोलिपेस ए2 (पीएल ए2) की जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि शरीर में कितना जहर है। उस मात्रा के अनुसार ही व्यक्ति का उपचार किया जाता है। ऐसे मामलों में पहले बिना देर किए महंगे एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन दे दिए जाते थे।
कब क्या उपचार
1सांप के काटे व्यक्ति के रक्त में विष की मात्रा अधिक हो, थकान या रक्तस्राव हो तभी एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन दिया जाएगा।
२कभी-कभी तो सर्प के काटे का निशान होता है, पर जहर के लक्षण नहीं होते। ऐसे में मरीज को टेटनस का इंजेक्शन लगाया जाएगा।
३रक्त में न्यूक्लियोटाइडेस और पीएल-ए2 की मात्रा अधिक होती है तो उस पर उपचार के साथ नजर भी रखी जाती है।







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