हर साल अमरीका जाने वाले 400 लोगों को चुकानी होगी भारी कीमत, शुल्क में कमी नहीं हुई तो दुबई, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया का रुख कर सकते हैं युवा
रायपुर. अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप द्वारा एच-1 बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि के फैसले से भारतीय मुश्किल में पड़ जाएंगे। नई फीस के तहत नए एच-1 बी वीजा के लिए आवेदन करने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
विदेशी मुद्रा और निवेश पर भी प्रभाव
नौकरीपेशा और विद्यार्थियों पर ज्यादा असर
अमरीका में छत्तीसगढ़ के लगभग 5000 लोग रहते हैं और हर साल लगभग 400 लोग एच-1 बी वीजा लेते हैं। वही एच-1 बी वीजा लेने वालों में 70 फीसदी भारतीय हैं। यह वीजा नियोक्ता को लेना पड़ता है। जिनके यहां भारतीय या दूसरे देश के लोग काम करते हैं। इसमें 5 हजार डॉलर लगता है। अब इसमें 1 लाख यूएस डॉलर देना पड़ेगा। अमरीका में एन-1 बी वीजा पर लगभग 7 लाख लोग हैं। एच-1 बी वीजा की फीस 88 हजार से बढ़ाकर 88 लाख की गई है। नए वीजा के लिए अप्रैल 2026 से आवेदन आने शुरू होंगे। उसमें जो नए लोग आएंगे उनपर यह लागू होगा। यदि शुल्क में कमी नहीं हुई तो युवाओं को दुबई, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, चीन जैसे देशों की ओर रुख करना होगा।
जानकारों के अनुसार, एनआरआई अपने कमाए हुए धन को भारत भेजते हैं, जिसे प्रेषण कहते हैं। ये प्रेषण भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। 2022 में, एनआरआई ने लगभग 8 लाख करोड़ के प्रेषण भेजे, जो देश के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा है। ऐसे ही फॉरेन इन्वेस्टमेंट में भी 14 फीसदी की हिस्सेदारी है। उसपर भी काफी प्रभाव पड़ेगा। लोग कम जाएंगे तो प्रेषण और इन्वेस्टमेंट पर असर होगा।
शिकागो में रह रहे राज्य के गणेश कर ने बताया कि ऐसी स्थिति में अब अमरीकी कंपनियां एच-1 बी वीजा कराने से डरेंगी। पिछले साल अमेजन ने लगभग 10 हजार लोगों को एच-1 बी वीजा दिलाया था। कंपनियां नए लोगों को जॉब नहीं देगी। इससे यूएस और भारत दोनों जगह असर पड़ेगा। जो स्टूडेंट्स यहां पढ़ाई करने आते है उन्हें दो साल तक रुक सकते हैं उसके बाद उन्हें एच-1 बी वीजा लेना पड़ता है। इससे स्टूडेंट्स को जॉब लेने में समस्या होगी। अमरीका में प्रतिभाएं कम जाएंगी और वहां की इकोनॉमी पर असर होगा। कंपनियां जिन पर इसका ज्यादा असर होगा वे स्टूडेंट्स को हायर नहीं करेंगी। यदि कंपनियां हायर करती हैं तो उनके प्रोडक्ट का कॉस्ट भी बढ़ेगा। इससे कंपनियां डरेंगी। इसके अलावा ज्यादा नियम आने लगेंगे तो यदि कोई अमरीका में रह रहा है उसकी नौकरी जाती है तो उसे दूसरी कंपनी में जॉब मिलने में काफी समस्या होगी। सबसे ज्यादा असर आईटी सर्विसेस पर पड़ेगा।







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