नई दिल्ली. चुनाव आयोग (ईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बिहार मतदाता सूची संशोधन के लिए आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज नहीं माना जा सकता।
यह बात आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में उन याचिकाओं पर जवाब दाखिल करते हुए कही, जिनमें बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को चुनौती दी गई थी। आयोग ने कहा, आधार कार्ड भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं है और अलग-अलग हाईकोर्टों ने भी इस बात को माना है। इसी तरह राशन कार्ड को लेकर आयोग ने कहा, बड़ी संख्या में नकली राशन कार्डों को देखते हुए इसे मुख्य दस्तावेज की सूची में शामिल नहीं किया गया।
2.90 करोड़ साबित करेंगे नागरिकता
24 जून को बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण की घोषणा की गई थी। इसके तहत जिनके नाम 2033 की मतदाता सूची में नहीं थे, उन्हें अपनी पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज देने होंगे। राज्य के ७.८० करोड़ वोटर्स में ऐसे करीब 2.9० करोड़ वोटर हैं।
आयोग ने नहीं माने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को चुनाव आयोग को एसआईआर के लिए जरूरी 11 दस्तावेज में आधार, वोटर आईडी और राशन को मान्य दस्तावेज के तौर पर शामिल करने का सुझाव दिया था। आयोग ने इन सुझावों को मानने से इनकार कर दिया।
आयोग ने मार्च में सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति का हवाला भी दिया, जिसमे कहा गया था कि केंद्र ने 5 करोड़ से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड धारकों को हटाया है। वोटर आईडी स्वयं संशोधित हो रही मतदाता सूचियों पर आधारित है, इसलिए इसे प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार करने से पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 11 दस्तावेज की सूची संकेतात्मक है, अंतिम नहीं। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
