केंद्र की सख्ती: राज्यों को वैरिफाई कर नाम हटाने के निर्देश
नई दिल्ली. हर सरकारी योजना के लाभार्थियों में फर्जी या अपात्र लोगों की सफाई के अभियान में जुटी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बार फिर गलत तरीके गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन उठाने वाले लोगों की पहचान की है। केंद्र की पड़ताल में सामने आया कि मोदी सरकार की मुफ्त राशन योजना का लाभ ऐसे करीब 1.17 करोड़ लोग उठा रहे है, जो इनकम टैक्स देते हैं, चौपहिया वाहन के मालिक या फिर किसी कंपनी के निदेशक है। केन्द्र ने तकनीक के इस्तेमाल से डेटा विश्लेषण कर ऐसे अपात्र लोगों की पहचान की है। इन अपात्र लाभार्थियों की सूची राज्यों को भेज कर कहा गया है कि वह इसे जमीनी तौर पर सत्यापित करें और नाम हटाने की कार्रवाई करें। राज्यों में इस सूची के सत्यापन का काम चल रहा है। दरअसल, मोदी सरकार पिछले लंबे समय से मुफ्त राशन योजना चला रही है। इसमें करीब 80 करोड़ से अधिक लोगों को पहले रियायती दर पर और कोरोना काल के बाद से लगातार मुफ्त खाद्यान्न यानी गेहूं-चावल दिया जा रहा है। केंद्र सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने पिछले माह ऐसे अपात्र कार्ड धारकों की सूची राज्य सरकारों को भेजी है।
छत्तीसगढ़ में चल रहा काम
जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान में अपात्र लोगों से स्वयं ही खाद्य सब्सिडी छुड़वाई जा रही है। अब तक करीब 27 लाख लोग ऐसा कर चुके हैं। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भी सत्यापन का काम जारी है।
ये मुफ्त राशन के लिए अपात्र
केंद्र या राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारी
सालाना 1 लाख रुपए या उससे अधिक आय वाले परिवार
चार-पहिया वाहन मालिक
आयकरदाता
किसी कंपनी में निदेशक
ऐसे पकड़ी गड़बड़ी
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने राशन कार्ड प्रबंधन प्रणाली के डेटा का आयकर विभाग के सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी), कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और पीएम किसान के डेटाबेस से विश्लेषण कर जानकारी हासिल की। इसके बाद इनका मिलान मुफ्त राशन योजना के लाभार्थियों से करवाकर अपात्रों की सूची तैयार की है।







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