संसद: ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स को बढ़ावा, जुए के खेल और विज्ञापन पर दंड
प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल लोकसभा में पारित
४बार-बार अपराध करने पर: 3 से 5 वर्ष की कैद और 2 करोड़ रुपए तक का जुर्माना
नई दिल्ली. देश में तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन मनी गेम्स (जुआ-सट्टा) और उसकी लत से बरबाद हो रहे लाखों परिवारों का भविष्य बचाने वाला प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग के इस विधेयक में मुख्य रूप से बुद्धिमत्ता (स्किल) आधारित गेम और शुद्ध रूप से भाग्यवादी जुए वाले ऑनलाइन गेम में अंतर किया है। इस विधेयक के तहत ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा, वहीं ऑनलाइन मनी गेम्स खिलाने और विज्ञापन करने पर तीन साल की जेल और एक करोड़ रुपए का जुर्माना होगा।
लोकसभा में केन्द्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ कहा है कि मध्यम वर्ग और समाज को बचाने के लिए सरकार अपनी कमाई की चिंता नहीं करती है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी तरह का समझौता नहीं करते हैं। सरकार ने जहां ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को नए भारत की डिजिटल ताकत बताते हुए मान्यता दी, वहीं ऑनलाइन मनी गेम्स यानी पैसों के जुए वाले खेलों को बरबादी की जड़ मानकर कड़ी सजा का प्रावधान किया। गेम्स से परिवारों की बरबादी व खुदकुशी के बढ़ते मामलों को लेकर सभी दलों ने कई बार कानून बनाने की मांग की थी।
1ऑनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश या सुविधा : तीन वर्ष तक की कैद और एक करोड़ रुपए तक जुर्माना।
स्वागत योग्य कदम, ईमानदारी से लागू हो
नरेंद्र मोदी सरकार का ऑनलाइन मनी गेमिंग पर नियंत्रण और स्किल गेमिंग को बढ़ावा देने के लिए लाया गया कानून स्वागत योग्य है। हाल की रिपोर्टों अनुसार ऑनलाइन गेमिंग जुए में करीब 40 करोड़ भारतीय हर साल करीब 20 हजार करोड़ रुपए गंवा रहे हैं। इंटरनेट पर सुलभ उपलब्धता और लुभावने प्रमोशन वाले विज्ञापनों से लालच में आकर युवा जुए के इस जाल में फंस रहे हैं। पैसे के लिए कर्ज, चोरी जैसे अपराध में घिर रहे हैं और सुसाइड की घटनाएं भी सामने आई हैं। कानून ईमानदारी से लागू होने पर कई परिवारों को राहत मिलेगी।
बिल के ये होंगे प्रभाव
रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: वैश्विक गेमिंग निर्यात, रोजगार और नवाचार में भारत की भूमिका को बढ़ाएगा
युवाओं का सशक्तीकरण: ई-स्पोर्ट्स और कौशल-आधारित डिजिटल गेम्स के माध्यम से रचनात्मक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
सुरक्षित डिजिटल वातावरण: परिवारों को ऑनलाइन मनी गेमिंग की हानिकारक प्रथाओं से बचाएगा।
वैश्विक नेतृत्व: भारत को जिम्मेदार गेमिंग नवाचार और डिजिटल नीति-निर्माण में अग्रणी बना सकता है।
यह भी प्रमुख प्रावधान
विज्ञापनों पर रोक: टीवी, मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया या वेबसाइट पर इन खेलों का विज्ञापन करना अपराध, सेलेब्रिटी या इन्फ्लुएंसर द्वारा प्रमोशन करने पर सजा।
ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना: यह राष्ट्रीय प्राधिकरण ऑनलाइन गेम्स का वर्गीकरण और पंजीकरण करेगा। तय करेगा कि कौनसा गेम स्किल या मनी गेम है। संबंधित शिकायतों और शिकायतों का निपटारा करेगा दिशा निर्देश, आचार संहिता बनाएगा।
आइटी एक्ट के तहत ऑनलाइन मनी गेम की साइटों पर पहुंच पर रोक का अधिकार।
जांच एजेंसियों को भौतिक व डिजिटल संपत्ति की जांच, तलाशी, गिरफ्तारी व जब्ती का अधिकार।
मनी गेम्स व ई-स्पोर्ट्स में यह फर्क
यह प्रतिबंधित
इनको बढ़ावा
ई-स्पोर्ट्स: मल्टीप्लेयर फॉर्मेट में स्किल बेस्ड प्रतिस्पर्धी डिजिटल गेम। इन पर दांव या सट्टेबाजी नहीं होती। खेल मंत्रालय मान्यता देकर दिशा-निर्देश और मानक तैयार करेगा।
सोशल गेम्स: मनोरंजन, स्किल डेवलपमेंट या शिक्षा के लिए बने गेम। दांव या पैसों की बाजी नहीं लगती। भारतीय मूल्यों के अनुरूप सांस्कृतिक और शैक्षिक गेमिंग सामग्री के लिए समर्थन।







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