रायपुर. राज्य सरकार ने वायु प्रदूषण की गंभीर होती समस्या को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया है। वायु प्रदूषण के मामले में रायपुर, जांजगीर और कोरबा की हालत चिंताजनक है। पर्यावरण विभाग द्वारा जारी आदेश में नगर निगमों, औद्योगिक इकाइयों और प्रशासनिक विभागों को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं। आदेश में साफ़ कहा गया है कि बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करना अब सभी की संयुक्त जिम्मेदारी होगी। जारी आदेश में कहा गया है कि वायु प्रदूषण केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि पर्यावरण और विकास के लिए भी खतरा है। इस आदेश का उद्देश्य सभी विभागों और संस्थानों को मिलकर काम करने के लिए बाध्य करना है। प्रदूषण फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और हर संभव कदम उठाकर नागरिकों को स्वच्छ हवा उपलब्ध कराई जाएगी। शेषञ्चपेज ११
पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक़ रायपुर और भिलाई जैसे औद्योगिक शहरों में औसत ए क्यू आई 180 से 220 के बीच दर्ज किया गया है, जो ‘‘खराब’’ श्रेणी में आता है। प्रदेश के लगभग 15 ज़लिे वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित माने गए हैं। राजधानी रायपुर में सांस और फेफड़े की बीमारियों के मरीजों में 20 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है।
औद्योगिक इकाइयां : धुआं और गैसों के उत्सर्जन की नियमित जांच होगी। निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने पर संबंधित फैक्ट्री या यूनिट पर कार्रवाई की जाएगी।
निर्माण कार्य : भवन निर्माण और सड़कों के काम के दौरान धूल रोकने के उपाय (जैसे पानी का छिड़काव, ग्रीन नेट का उपयोग) करना अनिवार्य होगा।
वाहन प्रदूषण : नगर निगम और परिवहन विभाग संयुक्त रूप से वाहनों की प्रदूषण जांच की विशेष मुहिम चलाएंगे। बिना पीयूसी वाले वाहनों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
जागरूकता अभियान : आम जनता को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूक करने के लिए स्कूल, कॉलेज और वार्ड स्तर पर अभियान चलाए जाएंगे।
हरित पहल : आदेश में अधिक से अधिक पौधारोपण और पार्कों के संरक्षण पर विशेष बल दिया गया है।
प्रभावित मुख्य जिले व शहर
बिलासपुर: यह औद्योगिक और शैक्षिक गतिविधियों का केंद्र है, जहां वायु प्रदूषण का स्तर अधिक है।
जांजगीर-चांपा : राज्य के सबसे प्रदूषित जिलों में से एक है।
कोरबा : औद्योगिक शहर होने के कारण यहां प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, जहां थर्मल पावर प्लांट हैं।
कबीरधाम : यहां भी वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक है।
रायगढ़ : यह भी एक औद्योगिक क्षेत्र है, और यहां वायु प्रदूषण का स्तर भी चिंताजनक है।
दुर्ग-भिलाई : औद्योगिक गतिविधियों और भिलाई स्टील प्लांट के कारण यह शहर बहुत प्रदूषित है।
रायपुर : औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा, उरला और बोरझरा के कारण रायपुर में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है।
सांस-फेफड़े की बीमारियों में वृद्धि
विशेषज्ञों का कहना है कि रायपुर, भिलाई, कोरबा और रायगढ़ जैसे औद्योगिक शहरों में भारी उद्योगों, पावर प्लांट्स, निर्माण कार्य और वाहनों से निकलने वाले धुएं ने वायु गुणवत्ता को खराब किया है। परिणामस्वरूप, सांस और फेफड़े की बीमारियों के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। फेफड़ों के रोग विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में घुला ज़हर जब सांस के जरिए भीतर जाता है, तो यह संक्रमण पैदा करता है। यही संक्रमण खांसी, सांस लेने में तकलीफ़ और दम फूलने जैसी समस्याओं का कारण बनता है। देश के 130 शहरों में से 103 शहरों ने 2017-18 की तुलना में प्रदूषण स्तर घटाया है, लेकिन रायपुर और कोरबा जैसे कुछ शहर ऐसे भी हैं जहां हालात बिगड़े हैं।
वाहनों के धुएं, घरों में जीवाश्म ईंधन और कचरा जलाने से भी प्रदूषण होता है।
300 करोड़ स्वीकृत, खर्च सिर्फ 191 करोड़राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम एनसीएपी के तहत केंद्र ने राज्यों को 13,000 करोड़ से अधिक फंड जारी किया है। इसमें छत्तीसगढ़ के लिए लगभग 300 करोड़ स्वीकृत हैं, लेकिन उपयोग केवल 191 करोड़ रुपए हुए हैं।
औद्योगिकीकरण : भारी उद्योगों, कोयला आधारित उद्योगों और बिजली उत्पादन के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
थर्मल पावर प्लांट: राज्य में लाखों टन कोयला जलाया जाता है, जिससे कार्बन और राख हवा में फैलते हैं।







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