जबलपुर. मध्यप्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने काला मक्का (ब्लैक कॉर्न) की एक देसी किस्म ‘जवाहर काला मक्का’ विकसित की है, जिसमें सामान्य मक्के की तुलना में 12त्न अधिक प्रोटीन पाया गया है। इस किस्म की फसल साल में दो बारली जा सकती है।
सुपर फूड: साल में दो बार ली जा सकेगी फसल
आने वाले वर्षों में यह ‘सुपर फूड’ के रूप में पहचान बना सकती है। नई किस्म का नाम ‘जवाहर काला मक्का’ रखा है। नई किस्म 80 से 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और सामान्य मक्का की तुलना में 4 से 5 क्विंटल अधिक उत्पादन देती है। एक एकड़ भूमि में 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। एक बार बीज तैयार हो जाने के बाद उसे कई बार बोया जा सकता है, जिससे बीज की लागत में बचत होगी।
कई बीमारियों का जोखिम घटाएगी
इस किस्म में सामान्य मक्के की तुलना में 12 फीसदी से अधिक प्रोटीन होने का दावा है। साथ ही इसमें आयरन और जिंक भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ब्लैक कॉर्न में पाया जाने वाला प्राकृतिक तत्व एंथोसाइनिन एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है। डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव में सहायक माना जाता है। इस पूरी तरह देसी किस्म को विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।







Users Today : 10
Users Yesterday : 26