December 6, 2025 10:08 am

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पृथ्वी अकेली नहीं, कभी मंगल ग्रह पर भी था जीवन

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नई चट्टानों से मिला संकेत चौंकाने वाला

जेजेरो क्रेटर की सूखी नदी की तलहटी से लिए नमूनों पर ‘पोटेंशियल बायोसिग्नेचर’ मिले

2021 से हो रही मंगल पर खोज

वाशिंगटन. मंगल ग्रह पर जीवन की खोज लंबे समय से वैज्ञानिकों का सपना रही है। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को मंगल पर जीवन के संकेत खोजने की दिशा में सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। नासा का रोवर ‘पर्सिवरेंस’ कई वर्ष की खोज के बाद मंगल पर जेजेरो क्रेटर की एक सूखी नदी की तलहटी से पत्थर का नमूना लिया था, जिसे ‘चेयावा फॉल्स’ नाम दिया गया। इस नमूने की जांच हुई तो पहली बार उसमें ‘पोटेंशियल बायोसिग्नेचर’ के संकेत मिले हैं। पोटेंशियल बायोसिग्नेचर ऐसे निशान होते हैं, जिनका स्रोत जीवित सूक्ष्मजीव हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह पत्थर मिट्टी व महीन कणों से बना है, जो धरती पर सूक्ष्मजीवों को सुरक्षित रखते हैं। इनमें कार्बन, सल्फर, फॉस्फोरस और आयरन जैसे रासायनिक तत्व मिले हैं। जांच के दौरान पत्थर पर रंग-बिरंगे धब्बे दिखाई दिए, जिन्हें वैज्ञानिकों ने ‘लेपर्ड स्पॉट्स’ नाम दिया।

अब तक माना जा रहा था कि मंगल पर जीवन के संकेत सिर्फ बहुत पुराने पत्थरों में मिल सकते हैं। लेकिन यह नमूना अपेक्षाकृत नई चट्टानों से मिला है। इसका मतलब है कि शायद मंगल पर लंबे समय तक जीवन के लिए उपयुक्त माहौल बना रहा होगा। नासा का रोवर अब तक 27 नमूने इकट्ठा कर चुका है। यह रोवर जीवन की खोज, भविष्य में इंसानों की मंगल तक यात्रा के लिए मौसम और स्पेससूट की टिकाऊ क्षमता जैसी जानकारियां जुटा रहा है।

नासा की ओर से मंगल ग्रह पर पिछले 4 साल से लगातार खोज की जा रही है।

पर्सिवरेंस रोवर को फरवरी, 2021 में मंगल की जमीन पर उतारा गया था।

इसका काम प्राचीन जीवन के संकेतों और नमूनों को एकत्रित करना है।

रोवर की ओर से एकत्रित किए नमूने कब पृथ्वी पर आएंगे? ये अब तक तय नहीं हो पाया है।

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Author: live36garh

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