मॉर्गन स्टैनली ने कहा… घटती महंगाई और ब्याज दरों में नरमी से देश में बढ़ेगी मांग
नई दिल्ली। लगातार घटती महंगाई, उच्च विकास दर और ब्याज दरों में नरमी के दम पर भारत दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाजार बनने के लिए तैयार है। देश न सिर्फ बड़े ऊर्जा परिवर्तन से गुजरेगा, बल्कि गिरती ब्याज दरों के कारण जीडीपी की तुलना में कर्ज में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। खास बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी। इन सबका असर मांग पर पड़ेगा, जो आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ेगी।
आम लोगों की बढ़ेगी कमाई शेयर बाजार में बढ़ेगी हिस्सेदारी
मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा, भारतीय जीडीपी में कच्चे तेल की घटती हिस्सेदारी, वस्तु के साथ सेवाओं के निर्यात में वृद्धि, बढ़ता सरप्लस (अधिशेष) और राजकोषीय समेकन के कारण देश वैश्विक चुनौतियों के बावजूद स्थिरता के साथ आगे बढ़ रहा है। इन कारकों की वजह से बचत के मोर्चे पर असंतुलन में कमी आएगी, जिससे अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक रूप से कम ब्याज दरें वास्तव में संभव होंगी। यह ग्राहकों के लिए राहत की बात है।
मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा, उच्च विकास दर, कम अस्थिरता, घटती ब्याज दर और सरकार के नीतिगत प्रयासों के संयोजन से मूल्य-आय अनुपात में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब है कि कीमतों की तुलना में आम लोगों की आय बढ़ सकती है। यह परिदृश्य घरेलू बैलेंस शीट में इक्विटी की ओर बदलाव को बढ़ावा देगा यानी शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के कारण बाजारों में अभी अस्थिरता का माहौल है।
आय वृद्धि का धीमा दौर समाप्त
वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में शुरू हुआ आय वृद्धि का धीमा दौर समाप्त होता दिख रहा है। हालांकि, बाजार अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो पाया है।
नरम रुख अपनाने वाला आरबीआई भी आर्थिक वृद्धि में सुधार का समर्थन कर रहा है, लेकिन इस भरोसे के लिए बाहरी स्थितियों पर बेहतर स्पष्टता और जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत हो सकती है।
महंगाई के मोर्चे पर कम अस्थिरता
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, आपूर्ति पक्ष और लचीले महंगाई लक्ष्य जैसे नीतिगत बदलावों के कारण मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कम अस्थिरता देखी जा रही है। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में ब्याज दरों और विकास दर में अस्थिरता कम होने की संभावना है।
इन वजहों से जीडीपी की बढ़ेगी रफ्तार
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में अनिश्चितताओं के बीच भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ा रहा है। भविष्य के परिदृश्य पर कहा, अमेरिका के साथ एक अंतिम व्यापार समझौता, सरकार की ओर से अधिक पूंजीगत खर्च की घोषणाएं, कर्ज में तेजी, उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक आंकड़ों में एकसमान सुधार और चीन के साथ व्यापार में सुधार वृद्धि के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकते हैं।
