डेनमार्क की स्टडी: भारत के लिए चेतावनी
नई दिल्ली/कोपेनहेगन. एक अध्ययन में सामने आया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से मेनिंजियोमा नामक ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। यह ट्यूमर आमतौर पर कैंसरकारी नहीं होता, लेकिन आकार में बढ़कर मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। भारत में दिल्ली, मुंबई, कानपुर, वाराणसी जैसे शहर वर्ल्ड एयर क्वालिटी इंडेक्स में सबसे प्रदूषित गिने जाते हैं। ऐसे में यह अध्ययन चेतावनी है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों के साथ दिमाग पर भी चोट कर सकता है। डेनिश कैंसर सोसायटी की रिसर्च बताती हैं कि अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स इतने सूक्ष्म होते हैं कि वे ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और वहां न्यूरल गतिविधियों को प्रभावित करते हैं।
यह दिमाग और रीढ़ की झिल्लियों में बनने वाली एक असामान्य वृद्धि है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, दृष्टि में धुंधलापन, दौरे और याददाश्त में कमी शामिल हो सकते हैं। शोधकर्ता मानते हैं कि इस पर अभी और शोध की जरूरत है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण अब मस्तिष्क को भी चुपचाप निशाना बना रहा है।
डेनमार्क में 21 वर्षों तक 40 लाख वयस्कों पर किए अध्ययन में 16,596 लोगों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़े ट्यूमर पाए गए, जिनमें से 4,645 मामले मेनिंजियोमा के थे। रिसर्च के अनुसार, जिन इलाकों में ट्रैफिक से जुड़ा वायु प्रदूषण, जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड व अल्ट्राफाइन पार्टिकल्स अधिक था, वहां इस ट्यूमर की आशंका ज्यादा देखी गई।







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