रायपुर/बिलासपुर/दुर्ग. प्रदेश के शासकीय और निजी विद्यालयों में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के गतौरी स्थित गोदाम से स्कूली बच्चों को नि:शुल्क बांटने के लिए पुस्तकें भेजी गई हैं लेकिन बच्चों को बांटने की बजाए ये किताबें स्कूल के टेबलों पर धूल खा रही हैं। बात चाहे बिलासपुर संभाग की हो या रायपुर, दुर्ग संभाग की हो। ज्यादातर जगहों पर करीब 50 प्रतिशत बच्चों तक पुस्तकें नहीं पहुंच सकी हैं।
व्यवस्था पर सवाल: सिस्टम फेल, नहीं बंट रहीं शासकीय पुस्तकें
राज्य सरकार ने इस साल स्कूली बच्चों के लिए कुल 2.41 करोड़ किताबें छपवाई हैं। 90 प्रतिशत किताबें 17-18 जून तक डिपो तक पहुंचा दी गई हैं। 9वीं-10वीं की पढ़ाई जल्द शुरू करवानी जरूरी है, इसलिए इन कक्षाओं की 100 फीसदी किताबें डिपो में उपलब्ध हैं। कहीं बार कोड स्कैनिंग सिस्टम फेल तो स्कैनिंग होने के बाद भी पुस्तकें बंट नहीं पा रहीं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में अब भी 50 प्रतिशत बच्चे पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं। बड़ा सवाल है कि अब तक पुस्तकें सभी बच्चों को नहीं मिल सकीं हैं तो पढ़ाई कैसे हो रही है।
सरकार द्वारा छात्रों को नि:शुल्क पुस्तकें देने की योजना तो है, लेकिन पोर्टल में पुस्तकों के बारकोड अपलोड नहीं होने के कारण ये पुस्तकें छात्रों के हाथ तक नहीं पहुंच पाई हैं। स्कैनिंग सिस्टम की तकनीकी खराबी से स्कूल खुलने के एक माह बाद भी पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी अनुसार जिले में कुल 1858 सरकारी स्कूल हैं। इसमें प्राइमरी 1113, मिडिल 518 और हाई स्कूलों की संख्या 227 है।
पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल में स्कैनिंग के दौरान दिक्कत आ रही है। हाल ही में हुई बैठक में दिक्कतों के बारे में चर्चा की गई। कई स्कूलों में पुस्तकें बांटी जा चुकी हैं, बाक़ी में भी जल्द से जल्द पुस्तकें बांट दी जाएंगी। -विजय टांडे, जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर
इसके अलावा जिले में 749 निजी स्कूलों को भी इस बार नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक का वितरण किया गया है।सिर्फ बिलासपुर जिले के सरकारी और निजी स्कूलों को मिलाकर तकरीबन 4 लाख पुस्तकों का वितरण पाठ्य पुस्तक निगम से हुआ है लेकिन बच्चों के हाथों तक ये पुस्तक आज तक नहीं पहुंच पाई है।
किताबें मौजूद, पर नहीं पहुंची बच्चों तक
दुर्ग संभाग: किताबों के वितरण में रुचि नहीं ले रहे शिक्षा विभाग के जिम्मेदार
दुर्ग संभाग में भी पाठ्य पुस्तकों का वितरण अब तक पूरा नहीं हुआ है। संभाग के किसी जिले में 45 तो किसी जिले में 50त्न तक ही वितरण हुआ है। अधिकांश स्कूलों में पुस्तकें पहुंच गई हैं लेकिन बच्चों के हाथ में नहीं पहुंचा है। संभाग के राजनांदगांव जिले में 1194 स्कूल हैं। जहां करीब 50त्न स्कूलों में ही वितरण हो पाया है। कवर्धा जिले के 1842 स्कूल में 1.54 लाख विद्यार्थियों को कुल 7.65 लाख किताब वितरण किए जाने हैं, लेकिन अब तक 1.70 लाख किताब स्कैन ही नहीं हो सके हैं। यही स्थिति बेमेतरा और बालोद जिले की भी है। बालोद जिले में 1042 स्कूल हैं। इन स्कूलों के करीब एक लाख बच्चों के हाथ में किताबें ही नहीं पहुंची है।
जिले के विद्यालय में पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से किताबें पहुंच चुकी हैं, लेकिन स्कैनिंग ऐप और वितरण प्रक्रिया में तकनीकी अड़चनों के कारण आज तक आधे से अधिक किताबें छात्रों को वितरित नहीं की गईं। जिसके चलते कई स्कूलों में पुरानी पुस्तकों के भरोसे ही शिक्षक बच्चों को पढ़ाई करा रहे हैं।
पोर्टल का सर्वर हो जा रहा डाउन
शिक्षकों ने बताया कि पाठ्य पुस्तक निगम के जिस पोर्टल में जानकारी अपलोड होना है उसमें पुस्तकों के बारकोड को अपलोड करने में दिक्कत हो रही है। सर्वर डाउन होने के कारण बारकोड स्कैन ही नहीं हो रहा है। ऐसे में बच्चों को बिना स्कैनिंग के पुस्तकों का वितरण ही नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण पुस्तकों को स्कूल में ही रखा गया है।







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