सरायपाली। पूर्व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सरला कोसरिया समाज के प्रति अटूट समर्पण से न केवल राजनीति में अपनी पहचान बनाई, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी एक प्रेरणादायक मिसाल कायम की हैं। उनकी यात्रा एक साधारण शुरुआत से छत्तीसगढ़ की राजनीति और समाज सेवा के शिखर तक की है, जो हर महिला और युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
ज्ञात हो कि सरला कोसरिया ने 2010 में महासमुंद जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 14 से रिकॉर्ड 10,000 मतों के अंतर से जीत हासिल कर इतिहास रचा। इस शानदार जीत ने उन्हें 2010 से 2015 तक जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में सेवा करने का अवसर प्रदान किया, जहां उन्होंने जनता के विश्वास को मजबूत किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उनकी निष्ठा और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें 2015 से 2025 तक लगातार तीन बार प्रदेश उपाध्यक्ष के रूप में सेवा करने का गौरव दिलाया। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। उन्होंने भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा की प्रदेश सह-संयोजक और केंद्रीय मंत्री लोकसभा प्रवास की प्रदेश सह-संयोजक के रूप में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। बस्तर और कोरबा में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनके प्रवास ने उनकी संगठनात्मक क्षमता को और सशक्त किया। वर्तमान में, वे भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी प्रखर वक्तृत्व शैली, सरलता और सहजता ने महिला मोर्चा को नई ऊर्जा और दिशा दी है, जिससे महिलाओं में सशक्तिकरण की लहर उत्पन्न हुई है।
सामाजिक क्रांति: सेवा में रग-रग बसी निष्ठा कोसरिया का सामाजिक योगदान उनकी राजनीतिक उपलब्धियों से कम नहीं है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक परम पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा जी के विचारों से प्रेरित होकर, उन्होंने गायत्री परिवार के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। वे छत्तीसगढ़ गायत्री परिवार की कोर कमेटी की सदस्य, सरायपाली गायत्री परिवार की ट्रस्टी, और “आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी” अभियान की प्रदेश संयोजक हैं। इसके साथ ही, वे महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश समन्वयक के रूप में भी सक्रिय हैं।उनका सामाजिक कार्य यहीं तक सीमित नहीं है। वे प्रगतिशील सतनामी समाज की संरक्षक सदस्य और महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश सलाहकार हैं। माँ भगवती गौशाला, सोनपुरी की कोशाध्यक्ष के रूप में, वे गौ-सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। विशेष रूप से, चंद्रपुर के चंद्रहासिनी मंदिर में बलि प्रथा को समाप्त करने की दिशा में उनके प्रयास सराहनीय हैं, और वे इस सामाजिक कुरीति को जड़ से मिटाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।
सरला कोसरिया ने सरायपाली क्षेत्र में अवैध शराब के खिलाफ एक प्रभावशाली अभियान चलाया। 6,000 महिलाओं की विशाल टीम के साथ, वे नशा उन्मूलन के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। यह पहल न केवल सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देती है। बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी दृढ़ संकल्पना को भी दर्शाती है।
विरासत और समर्पण राजनीति का स्वर्णिम अध्याय कोसरिया को राजनीति और समाज सेवा की विरासत अपने परिवार से मिली। उनके बड़े पिता रेशम लाल जांगड़े, भारत के प्रथम सांसद और संयुक्त मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे, जबकि उनके पिता डॉ. भूषण लाल जांगड़े राज्यसभा सांसद और संगठन में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए, कोसरिया ने अपनी मेहनत और निष्ठा से एक स्वतंत्र और प्रेरणादायक पहचान बनाई।
राष्ट्रभक्ति और कार्यकर्ता प्रेम: सच्चा नेतृत्वराष्ट्रभक्ति और भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा उनकी हर गतिविधि में झलकती है। एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में, वे कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ी रहती हैं और उनके हक व सम्मान के लिए संघर्ष करती हैं। उनकी सरलता और सहजता ने उन्हें विशेष रूप से महिलाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय बनाया है, एक पेड़ मां के नाम 2024 में, कोसरिया ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान की प्रदेश संयोजक के रूप में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह पहल उनकी सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को दर्शाती है।
वर्तमान भूमिका: महिलाओं का सशक्तिकरणवर्तमान में सरला कोसरिया छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य के रूप में कार्यरत हैं, जहां वे महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए समर्पित हैं। उनकी यह भूमिका उनके सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक योगदान का एक और स्वर्णिम अध्याय है।







Users Today : 6
Users Yesterday : 26