सूअर की जीन-संशोधित किडनी बड़े पैमाने पर जरूरतमंद इंसानों में लगाई जाएगी
सूअर के शरीर से अल्फा-गैल नामक काबोर्हाइड्रेट पैदा करने वाले जीन को हटाया गया
नई दिल्ली।अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में विज्ञान ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब सूअर की जीन-संशोधित (जीन एडिटेड) किडनी इंसानों में प्रत्यारोपित करने के लिए बड़े पैमाने पर क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी मिल गई है। अमेरिकी कंपनी ईजेनेसिस ने बताया कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने मानव परीक्षण की इजाजत दे दी है।
क्लीनिकल ट्रायल को मिली मंजूरी के पीछे है अत्याधुनिक क्रिस्पर तकनीक, जिससे सूअरों के डीएनए में बदलाव कर उन्हें इंसानों के अनुकूल बनाया गया है। खासतौर पर अल्फा-गैल नामक कार्बोहाइड्रेट पैदा करने वाले जीन को हटाया गया, जो सामान्य रूप से इंसानी शरीर को सूअर का अंग तुरंत अस्वीकार करने पर मजबूर करता है।
अगले ढाई साल में 33 मरीजों पर ट्रायल ईजेनेसिस अगले ढाई साल में 33 मरीजों पर ट्रायल करेगी। दूसरी अमेरिकी कंपनी यूनाइटेड अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं, जिनमें से 86% को सिर्फ किडनी चाहिए। औसतन 3 से 5 साल का इंतजार करना पड़ता है, और ओ ब्लड ग्रुप वालों को 10 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। डायलिसिस पर जी रहे मरीजों की 5 साल में मृत्यु दर 50% से ज्यादा है। ऐसे में अगर सूअर की किडनी स्थायी हल साबित होती है, तो यह मेडिकल इतिहास का सबसे बड़ा मोड़ होगा।
सूअर की किडनी प्रत्यारोपण के संभावित लाभ किडनी के लिए वर्षों लंबा इंतजार खत्म हो सकता है।
डायलिसिस पर निर्भर लाखों मरीजों को नया जीवन मिलेगा।
मरीजों की जीवन-गुणवत्ता और जीवनकाल दोनों बढ़ेंगे।
दुनिया के सबसे बड़े अंग संकट का स्थायी समाधान संभव।
थेरेप्यूटिक्स इस साल से 50 मरीजों पर अपना परीक्षण शुरू करने जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये मानव ट्रायल







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