केंद्र की योजना: भारतीय फोन में अपने आप विदेशी नेटवर्क से नहीं जुड़ेंगे
नई दिल्ली. सरकार अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास भारतीय मोबाइल फोन के अपने आप विदेशी टेलीकॉम नेटवर्क से जुड़ने यानी सिग्नल स्पिलेज रोकने के लिए 150 से 200 निगरानी स्टेशनों का नेटवर्क बनाएगी। इसके लिए योजना तैयार कर ली गई है। इस योजना के तहत ऐसे हर 5 स्टेशनों पर एक नियंत्रण और डाटा प्रोसेसिंग सेंटर बनेगा, जहां तकनीकी विशेषज्ञ निगरानी के लिए तैनात होंगे। भारत की 7 देशों से जुड़ी करीब 15 हजार किमी लंबी जमीनी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विदेशी टेलीकॉम नेटवर्क के हस्तक्षेप और सिग्नल स्पिलेज को सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना जाता है।
कश्मीर में आतंकियों को मिलती है मदद
कश्मीर में एलओसी व आइबी पर सिग्नल स्पिलेज ज्यादा मिलता है। इससे पाकिस्तान आतंकियों की मदद करता है।
बांग्लादेश सीमा पर भी फरवरी, 2025 में कोडेड उर्दू, अरबी और बांग्ला शैली का रेडियो प्रसारण दर्ज हुआ था।
इसलिए गंभीर मामला
सीमावर्ती क्षेत्रों में सिग्नल स्पिलेज रोकना सुरक्षा, डाटा लीक व विदेशी हस्तक्षेप खत्म करने के लिए जरूरी है। युद्ध की स्थिति में दुश्मन इसका दुरुपयोग ड्रोन से हमें नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है। इसके जरिए आतंकी विदेशों में संपर्क सहित अन्य फायदे भी उठा सकते हैं।
निगरानी स्टेशन नेटवर्क बनाने के लिए बीएसएनएल के बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) या बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) को शामिल किया जा सकता है। बीटीएस के जरिए बीएसएनएल सियाचिन जैसे दूरदराज क्षेत्रों में आधुनिक नेटवर्क उपलब्ध कराता है। वहीं अधिकतर निगरानी स्टेशन मानवरहित यानी रिमोट मॉडल पर काम करेंगे। यह स्टेशन 1 मेगाहर्ट्ज से 8 गीगाहर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी रेंज के स्पेक्ट्रम की निगरानी कर सकेंगे। गौरतलब है कि 1 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन में उपयोग होती है। वहीं 8 गीगाहर्ट्ज उच्च फ्रीक्वेंसी है, जो आधुनिक वायरलेस कम्युनिकेशन उपकरणों, वाईफाई और तेजी से डाटा ट्रांसफर करने में काम आती है।







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