नई दिल्ली। भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष आखिरकार 127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत वापस लाए गए हैं। इस पर प्रसन्नता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए खुशी का दिन है। सोशल मीडिया में उन्होंने लिखा, ये पवित्र अवशेष भगवान बुद्ध और उनकी महान शिक्षाओं के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध को दर्शाते हैं। ये हमारी गौरवशाली संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं।
विशाल संदूक ये अस्थि-अवशेष स्याम (थाईलैंड) के राजा को दुनियाभर के बौद्धों में वितरित करने के लिए दिए गए थे। ये अवशेष जिस विशाल पत्थर के संदूक में रखे गए थे, उसे कोलकाता के संग्रहालय में रखा गया है।
यूपी के सिद्धार्थनगर के पिपरहवा में वर्ष 1898 में मिले थे अवशेष
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा में 1898 में खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध के अवशेष मिले थे लेकिन औपनिवेशिक शासन के दौरान इन्हें देश से बाहर ले जाया गया था। पीएम ने बताया कि जब इस वर्ष की शुरुआत में ये हांगकांग में नीलामी में दिखाई दीं, तो हमने यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि ये स्वदेश वापस आ जाएं। मैं इस प्रयास में शामिल सभी लोगों की सराहना करता हूं। भारत सरकार ने नीलामी कराने वाली संस्था सोथबी मिशन को नोटिस भेजा और अवशेषों को स्वदेश लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-हर भारतीय के लिए गर्व का पल ब्राह्मी लिपि के शिलालेख से हुई थी पुष्टि… पिपरहवा डॉट कॉम के मुताबिक, 1898 में उत्तर प्रदेश के पिपरहवा (प्राचीन कपिलवस्तु) में भारत-नेपाल सीमा के पास एक प्राचीन बौद्ध स्तूप की खोदाई के दौरान कई अवशेष मिली थे। इनमें अस्थियों वाला एक संदूक भी था, जिसमें ब्राह्मी लिपि में लिखा शिलालेख इस बात की तस्दीक करता है कि वह भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियां ही हैं।
शिखालेख में लिखा गया है-भगवान बुद्ध के अवशेषों वाला यह संदूक सुकीर्ति बंधुओं ने अपनी बहनों, पुत्रों और शाक्य वंश की पत्नियों के साथ दान किया था। इसके अलावा, खोदाई में सोपस्टोन और क्रिस्टल के ताबूत, बलुआ पत्थर का एक संदूक और सोने के आभूषण और रत्न भी मिले थे।
