नई दिल्ली। जर्मनी के विदेश मंत्री योहान वाडेफुल ने बंगलूरू दौरे के दौरान भारत की तेज तकनीकी प्रगति की सराहना की और कहा कि बर्लिन और नई दिल्ली को सहयोग बढ़ाने से फायदा होगा। वाडेफुल ने कहा कि उन्होंने खुद देखा कि भारत कैसे एक नवाचार और तकनीकी का हब बन चुका है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाडेफुल ने भारत को दुनिया की उभरती आर्थिक महाशक्ति, सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए इसकी रणनीतिक अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बैठक के दौरान दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, आयुध क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की। दोनों देशों ने साझा सैन्य अभ्यास, हिंद प्रशांत क्षेत्र में जर्मन युद्धपोत की
चीन के आक्रामक रुख पर जताई
चिंता : वाडेफुल ने चीन के आक्रामक रुख पर चिंता जताते हुए कहा, भारत और जर्मनी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें हिंद-प्रशांत में समुद्री व्यापार मार्गों की स्वतंत्रता भी शामिल है। चीन का बढ़ता आक्रामक व्यवहार हम दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है।
व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य
भारत में होने वाले एआई शिखर सम्मेलन को वाडेफुल ने नई दिल्ली की महत्वाकांक्षा और तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बनने की इच्छा का प्रतीक बताया। व्यापार को लेकर उन्होंने कहा कि वर्तमान में दोनों देशों का व्यापार 31 अरब यूरो है और इसे दोगुना करने का लक्ष्य है।
भागीदारी और हथियार निर्यात लाइसेंस प्रक्रिया को तेज करने पर भी बातचीत की। ब्यूरो







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