एंटी ट्रस्ट डिस्ट्रिक अदालत ने गूगल के पक्ष में सुनाया फैसला, ऑनलाइन सर्च में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धियों के साथ करना होगा डाटा साझा
नई दिल्ली। ऑनलाइन सर्च में अवैध रूप से बाजार एकाधिकार रखने का दोषी पाए जाने के बाद भी गूगल को अब अपना क्रोम ब्राउजर और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं बेचना पड़ेगा।
एंड्रॉयड सिस्टम, क्रोम के साथ मिलकर गूगल के बाजार वर्चस्व वाले ऑनलाइन विज्ञापन कारोबार को चलाने में मदद करता है। इस मामले को अमेरिका के एंटीट्रस्ट नियामक के खिलाफ टेक कंपनियों की बड़ी जीत मानी जा रही है। पांच साल से चल रही कानूनी लड़ाई में वॉशिंगटन की जिला अदालत ने गूगल के पक्ष में फैसला सुनाया है। जज ने माना कि जेनरेटिव एआई के तेज उभार के बीच गूगल को तोड़ना भविष्य में अक्षमता पैदा कर सकता है, क्योंकि तकनीक
तेजी से बदल रही है। इस खबर के बाद गूगल और एप्पल के शेयरों में उछाल आया है। अदालत ने ऑनलाइन सर्च में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए गूगल को अपना डाटा प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा करने का आदेश दिया है। जज अमित मेहता ने गूगल को एप्पल और अन्य डिवाइस निर्माताओं के साथ विज्ञापन राजस्व साझा करने
डाटा साझा करने पर गूगल को आपत्ति
की डील को जारी रखने की भी अनुमति दी है। मॉर्गन स्टैनली के अनुसार, गूगल हर साल एप्पल को 20 अरब डॉलर का भुगतान करता है, ताकि उसका सर्च इंजन डिफॉल्ट रहे।
मेहता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उभरते खतरे के कारण इन भुगतानों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी नहीं है। यह डील गूगल को सर्च
अदालत ने गूगल को अपने सर्च डाटा और इंडेक्स का कुछ हिस्सा प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा करने का निर्देश दिया है। इससे सर्च और एआई विकास में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम गूगल की ऑनलाइन विज्ञापन और सर्च मार्केट में प्रभुत्व को कम करने के लिए उठाया गया है। गूगल ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि डेटा साझा करने से उसके यूजर्स की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है। अदालत ने कहा है कि एक समिति कम से कम 6 साल तक गूगल की गतिविधियों पर नजर रखेगी, ताकि आदेशों का पालन सुनिश्चित हो सके।
मार्केट में प्रभुत्व बनाए रखने में मदद करती है। अदालत के फैसले के मुताबिक गूगल अब ब्राउजर, स्मार्टफोन या डिवाइस पर अपनी सर्च इंजन को डिफॉल्ट बनाने के लिए विशेष अनुबंध नहीं कर सकेगा। हालांकि, गूगल गैर-विशेष सौदों के तहत डिवाइस पर अपनी सर्च को प्राथमिकता देने के लिए भुगतान कर सकता है। ब्यूरो
सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है मामला
गूगल ने कहा कि वह इस फैसले की समीक्षा कर रहा है और अपील दायर करने की योजना बना रहा है। जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम कोवासिक ने कहा कि जज मेहता ने ऐसे उपाय चुने हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किए जाने की संभावना रखते हैं। इस मामले का अंत सुप्रीम कोर्ट में होने की उम्मीद है।
फैसले का क्या होगा असर… फैसले के बाद गूगल के शेयर 8% बढ़े, क्योंकि निवेशकों ने इसे गूगल की जीत माना। क्रोम और एंड्रॉयड का टूटना टलने से गूगल का
विज्ञापन और डेटा मॉडल सुरक्षित। सिलिकॉन वैली की बड़ी कंपनियों के लिए राहत, क्योंकि एकाधिकार के मामलों में अक्सर कंपनियों को तोड़ना पड़ता है।
छोटे सर्च इंजन और एआई कंपनियों को गूगल के डेटातक पहुंच मिलेगी, जिससे वे बेहतर उत्पाद बना सकेंगे।जज ने माना कि जेनरेटिव एआई का उभरना बड़ा कारणहै। गूगल को तोड़ना भविष्य में अक्षमता पैदा कर सकता है।







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