December 6, 2025 4:04 pm

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युवाओं में कुपोषण नहीं, मोटापा अब बड़ी समस्या

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यूनिसेफ ने देशों की सरकारों को मोटापा पर रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने का आग्रह किया है। स्वस्थ खान-पान और जीवनशैली से फायदा

नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार अब दुनिया भर के बच्चों और किशोरों में कम वजन (कुपोषण) से ज्यादा मोटापे की समस्या उभर रही है। यूनिसेफ ने साल 2020 से 2022 तक के आंकड़ों को पेश करते हुए वर्तमान हालात और 2035 तक मोटापे को संभावित चुनौती बताते हुए चिंता जताई है। ऐसा पहली बार है जब मोटापा, कम वजन की समस्या से आगे निकल गया। मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

इसलिए बढ़ रहा मोटापा

जंक फूड, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड और मीठे पेय पदार्थों की खपत तेजी से बढ़ रही है।

बच्चों को आकर्षित करने के लिए आक्रामक डिजिटल और टीवी विज्ञापन।

शारीरिक गतिविधियों में कमी।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

दुनिया में साल 2000 में 5 से 19 साल के बच्चों में केवल 3त्न मोटे थे जबकि 13त्न कम वजन वाले थे।

साल 2022 तक मोटापा बढ़कर 9.4त्न हो गया, वहीं कम वजन घटकर 9.2त्न रह गया।

वर्तमान में दुनिया के करीब 188 मिलियन यानी हर 10 में से 1 बच्चा या किशोर मोटापे से ग्रसित है।

उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में मोटापे के मामले अधिक हैं।

2035 तक मोटापा से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर सालाना 4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का बोझ बढ़ेगा।

मोदी जता चुके चिंता

भारत के शहरी क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों लाल किले से मोटापे को आने वाले समय का बड़ा संकट बताते हुए अपनी चिंता जाहिर की थी।

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Author: live36garh

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