नई दिल्ली. सहारा निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के पास रखे गए सहारा रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये जारी किए जाएं. यह रकम उन जमाकर्ताओं को लौटाई जाएगी जिन्होंने सहारा समूह की सहकारी समितियों में निवेश किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर यह फैसला सुनाते हुए निवेशकों को भुगतान की अंतिम तिथि भी बढ़ाकर 31 दिसंबर 2026 कर दी है।
निवेशकों को मिलेगा फायदा : सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल थे. उन्होंने साफ किया कि यह राशि सीधे निवेशकों तक पहुंचेगी. कोर्ट ने केंद्र की उस याचिका को मंजूरी दी जिसमें कहा गया था कि सेबी-सहारा खाते में रखे पैसे का इस्तेमाल बकाया चुकाने में किया जाए. यह कदम लाखों निवेशकों को राहत देगा जो लंबे समय से अपनी जमा राशि की वापसी का इंतजार कर रहे थे.
सेबी की दलील और अदालत का रुख : सुनवाई के दौरान सेबी के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि आदेश को सोमवार तक के लिए स्थगित किया जाए ताकि सक्षम प्राधिकरण से निर्देश लिया जा सके. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग ठुकरा दी और साफ कर दिया कि रकम का ट्रांसफर एक हफ्ते के भीतर होना चाहिए. इस प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी करेंगे. अदालत ने यह भी दोहराया कि भुगतान मार्च 2023 के आदेश में तय प्रक्रिया के मुताबिक ही किया जाएगा।
केंद्र सरकार और याचिका का संदर्भ : यह आदेश उस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया जिसे पिनाक पाणि मोहंती ने दाखिल किया था. याचिका में मांग की गई थी कि चिटफंड कंपनियों और सहारा समूह के निवेशकों को उनका बकाया लौटाने के लिए कदम उठाए जाएं. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि अब तक 1,13,504 करोड़ रुपये से अधिक के दावे सामने आ चुके हैं. साथ ही, पहले जारी की गई राशि समय पर वितरित नहीं हो पाई थी और उस पर ब्याज भी बढ़ गया है. कोर्ट ने इन दलीलों को मानते हुए सरकार की अर्जी पर सकारात्मक फैसला दिया।







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