डिजिटल युग: दुनिया को मिल सकेगा 170 देशों की पद्धतियों का लाभ
नई दिल्ली में ग्लोबल समिट में होगी लॉन्च डिजिटल लाइब्रेरी
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर हुई शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक और ब्रिक्स के सम्मेलन में प्रधानमंत्री पारंपरिक चिकित्सा पद्धितियों की ग्लोबल रिपॉजिटरी ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन बनाने का आव्हान किया था। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ से संपर्क कर इसके लिए प्रयास शुरू किए। जामनगर स्थित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन अनुसंधान और नीति सहयोग का प्रमुख केंद्र बना है।
शोध में मिलेगी मदद
विश्वभर के परंपरागत चिकित्सा विज्ञान की जानकारी एक डाटा बेस में होने से बड़े स्तर पर शोध कार्य संभव हो सकेगा। -वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्राल अभिषेक सिंघल
नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए अब एक ग्लोबल डिजिटल लाइब्रेरी बनाएगा। पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में लंबे समय से साक्ष्यों और दस्तावेजों की कमी महसूस की जाती रही है। यह पहल से दुनियाभर के लोग परंपरागत चिकित्सा का ज्ञान मिल सकेगा।
विश्व की इस सबसे बड़ी डिजिटल ट्रेडिशनल मेडिसिन ग्लोबल लाइब्रेरी (टीएमजीएल) को दिसंबर 2025 में नई दिल्ली में होने वाली डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन के दौरान लांच किया जाएगा। हाल में रियो डी जेनिरो (ब्राजील) में आयोजित विश्व कांग्रेस में इस बारे में जानकारी दी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में 170 देश किसी न किसी रूप में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करते हैं, लेकिन यह पारंपरिक ज्ञान अभी तक उपेक्षित रहा है। यह पद्धति विश्व को कई प्रकार के औषधीय और चिकित्सकीय उपाय सुझा सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक नई पहले के तहत विविध परंपरागत ज्ञान प्रणालियों, शोध, नीतियों और साक्ष्यों की एक डिजिटल लाइब्रेरी बनेगी। इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा की वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित समझ, सांस्कृतिक संदर्भों का सम्मान और स्थानीय समुदायों के ज्ञान बचाए रखना और आधुनिक विज्ञान के अनुसार उपयोग में लाने योग्य बनाना है।







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