



आबकारी विभाग की नाक के नीचे चल रहा ‘अवैध चखना’ का बड़ा खेल अवैध ठेलों पर जाम!
आबकारी विभाग की मिलीभगत या लापरवाही
पिथौरा – शराब प्रेमियों के लिए सरकार द्वारा टेंडर निकाल लाखों रुपये खर्च कर बनाए गए शासकीय चखना सेंटर केवल शोपीस बनकर रह गए हैं। आबकारी विभाग की सरपरस्ती में शराब दुकानों के इर्द-गिर्द अवैध चखना सेंटर्स का जाल फैला हुआ है शासन द्वारा निर्धारित नियम-कायदों को ताक पर रखकर चल रहे इस कारोबार ने न केवल सरकारी राजस्व को चूना लगाया है, बल्कि आम जनता का जीना भी मुहाल कर दिया है।
शासन के कड़े निर्देशों के बावजूद, शराब दुकानों के ठीक बाहर अवैध गुमठियों, ठेलों और अस्थाई टपरों की बाढ़ आ गई है। हैरत की बात यह है कि इन दुकानों के संचालन के लिए सरकार द्वारा अधिकृत ‘शासकीय चखना दुकानें’ मौजूद हैं, , अवैध दुकानदार खुलेआम शराब के साथ चखना, डिस्पोजल और पानी बेच रहे हैं ।
सूत्रों की मानें तो यह पूरा खेल स्थानीय आबकारी अधिकारी की शह से चल रहा है। हर अवैध ठेले की कमाई का एक बड़ा हिस्सा ऊपर तक पहुंचने की चर्चा जोरों पर है।
इस अवैध धंधे का खामियाजा न केवल सरकार, बल्कि समाज को भी भुगतना पड़ रहा है:
सरकारी राजस्व की भारी हानि शासकीय चखना दुकानों का टेंडर लाखों रुपये में होता है। लेकिन जब ग्राहक बाहर ही सब कुछ खरीद लेते हैं, तो टेंडर लेने वाले ठेकेदार घाटे में जा रहे हैं। इससे भविष्य में कोई भी सरकारी टेंडर लेने से कतराएगा, जिससे राजस्व का बड़ा नुकसान होगा।
अवैध चखना सेंटर्स पर केवल चखना ही नहीं बिक रहा, बल्कि वहाँ खुलेआम ‘अहाता’ जैसा माहौल बना दिया गया है। शराब दुकानों के आसपास डिस्पोजल ग्लास, प्लेट्स और बची हुई सामग्री का अंबार लगा रहता है। बेतरतीब खड़ी गाड़ियों से शाम होते ही जाम की स्थिति बन जाती है, जिससे राहगीरों और विशेषकर महिलाओं का निकलना मुश्किल हो जाता है।
अवैध जमावड़े के कारण इन इलाकों में अक्सर मारपीट, गाली-गलौज और छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ गई हैं। पुलिस की गश्त भी यहाँ नाममात्र की दिखाई देती है।
खाद्य सुरक्षा की अनदेखी
इन अवैध ठेलों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की कोई जांच नहीं होती। बासी और अस्वास्थ्यकर खाना ऊँचे दामों पर बेचा जा रहा है, जिससे लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
आबकारी विभाग पर उठते सवाल
यह स्थिति आबकारी विभाग की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है
आखिर जब शासकीय दुकान मौजूद है, तो अवैध ठेलों को अनुमति कौन दे रहा है
आबकारी विभाग की गश्ती टीमें इन अवैध दुकानों को देखकर भी अनदेखा क्यों कर देती हैं
क्या विभाग अवैध वसूली के लालच में नियमों की धज्जियां उड़ने दे रहा है?







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